वर्ष 2020 से बिछुड़ते हुए मन अधीर हो रहा है । इस साल के तमाम खट्टे मीठे अनुभव मस्तिष्क के भीतर रोमांच पैदा कर रहें हैं । फौलाद सा जिगरा रखने वाला यह वर्ष तमाम चुनौतियों को अनवरत झेलता रहा । किंतु इसकी आशावादी दृष्टि ने सकारात्मकता को कभी ओझल नहीं पड़ने दिया । 2020 अपने उद्भव काल से ही राष्ट्रवादी एवं आस्तिक रहा । कश्मीर से धारा 370 और 35A के मुद्दे पर देश व सरकार दोनों को बारूदी बोल सहने पड़े । वर्षों से निर्वासित कश्मीरी पंडितों को अपनी जन्मभूमि की ओर वापसी की आश परवान चढ़ने लगी । किंतु पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस सहित अन्य अलगाववादी दलों की धमकियों को दरकिनार करते हुए सरकार ने जम्मू कश्मीर को 370, 35A मुक्त कर दिया । इस घटना से हमारा पड़ोसी पाकिस्तान बिलबिला उठा ।
ऐसी स्थिति के बीच तीन तलाक पर पाबंदी का कानून एवं CAA ( नागरिक संशोधन ऐक्ट ) ने देश में नया बहस एवं आंदोलन खड़ा कर दिया । हिन्दू मुसलमान घुसपैठिए , रोहिंग्या आदी सभी अपनी दुकानदारी चमकाने की फिराक में दिन रात लग गये ।
तो वहीं कोविड 19 महामारी ने भारत को अपनी आगोश में जकड़ना शुरू कर दिया था । यहां पहुंच कर 2020 पूरे विश्व के लिए त्रासदी का वर्ष बन गया । आमोखास सभी इस खौफ से भयजदा रहे । इस स्थिति का असर देश की अर्थव्यस्था पर पड़ना स्वाभाविक था । लोग इस महामारी की कोई दवा नहीं होने के कारण भगवान की शरण में समर्पित थे । फिर भी ऐसे आपातकाल में कुछ लोगो ने शाहीनबाग में महिलाओं को आगे कर, बड़ा बवाल खड़ा कर दिया । इसी की आड़ में दिल्ली दंगे की साजिश रची गयी । राजनीति की एक औचित्यहीन एवं परस्पर विरोधी दलों का बेमेल गठबंधन भी 2020 को झेलना पड़ा । मध्यप्रदेश में जनता द्वारा चुनी गयी कमलनाथ की कांग्रेसी सरकार को अपनों की बगावत की बेदी पर शलभ होना पड़ा । तो बिहार में मृत हो चुके वामदलों को संजीवनी मिल गयी ।
5 अगस्त 2020 शताब्दियों से लगें कलंक को धोने का दिन बन कर आया । जब अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर रामलला मंदिर निर्माण शुभारंभ विधिवत भूमिपूजन के साथ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया । अयोध्या की ऐतिहासिक रामलीला को दूरदर्शन ने लाइव प्रसारण के माध्यम से पूरे विश्व को दिखाया । इसी सब के साथ इक्यावन लाख दीपों से सजा सरयू का किनारा राम की नगरी अयोध्या की अद्भुत छटा बिखेर रहा था । 2020 सनातन भारत की आस्था को साकार करने वाले वर्ष के रूप में लंबे समय तक याद किया जाएगा । अध्यात्म की नगरी काशी में देव दीपावली पर लेजर लाइट शो, काशी विश्वनाथ कोरिडोर योजना ने विश्व पर्यटन को अपनी ओर आकर्षित किया है । कुछ लोगों ने कोरोना महामारी के चलते 2020 को भयानक त्रासदी का वर्ष मान लिया था । उन्हें शायद नहीं पता की इस वैश्विक महामारी ने समूचे विश्व को जीवन के अतिवाद से मुक्त होकर सचेत एवं निर्विकार जीवन जीना सिखाया है । विश्वबंधुत्व, एक दूसरे की सहायता, मदद, सेवा, सहयोग, आपदाप्रबंधन, स्वच्छता, सतर्कता, सुरक्षा के साथ पौष्टिक एवं शाकाहार, एक दूसरे से संपर्क के दौरान उचित दूरी के साथ डिजिटल माध्यम से वर्चुअल क्लास, मीटिंग एवं संवाद ने लोगों को तकनीक से जोड़ कर डिजिटल इंडिया के सपने को भी साकार कर दिया । धारा 370 की समाप्ति के बाद कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली हेतु डीडीसी चुनाव कराकर गूफकार गुट को घाटी में नये सिरे से जम्हूरियत, कस्मीरीयत व इंसानियत पर अपनी नई सोच पैदा करने के लिए इस वर्ष ने बाध्य कर दिया । साल के अंत का आगाज भी आंदोलन के बीच हो रहा है । कृषि सुधार अधिनियम के तीनों कानून को वापस लेनें की जिद पर अड़े किसानों ने देश की राजधानी को पंगु बनाने की मंसा से दिल्ली बार्डर पर डेरा डालें हुए हैं । हलांकि सरकार इन्हें किसान कम, विपक्ष की सह पर प्रायोजित आढतिया मान रही है । फिर भी 2020 का अंत इस आंदोलन के साथ होना तय माना जा रहा है ।
नवागत साल 2021 आशाओं से भरा, नये भारत के कीर्तिमान होने का राग लेकर आए, ऐसी मनोकामना हर भारतवासी कर रहा है । नूतन वर्ष का सूर्य अपनी स्वर्णिम रश्मियो से भारतवर्ष की अंजुरी में शिक्षा, विज्ञान, अनुसंधान, अर्थ एवं विकास भर दें । ताकी यह देश वसुधैवकुटुंबकम की अपनी लीक पर पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करें । हम देशवासी उस पारब्रर्म्ह परमेश्वर से यही प्रार्थना करते हुए सृष्टि के कल्याण हेतु एक दीप सूरज को और पाप को बहाकर अपनी महाधारा में शमन करने के लिए एक दीप गंगा को अर्पित करते हैं ।