आज राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि है। आइए पुण्यतिथि के बहाने हम देखते हैं कि लोहिया के समाजवाद की अवधारणा आखिर थी क्या जिस अवधारणा की चर्चा दुनिया भर में होती रहती है।
लोहिया का समाजवाद विशुद्ध देसी समाजवाद है, लोहिया ने दुनिया भर के बेतरीन विचारों को पढ़ा, समझा, बुझा और भारतीय जमीन पर जिस विचार के परिकल्पना के साथ उतरे वह भारत के लोगों के दुःख सुख सपनों से होकर गुजरता था . वह आयातित व वायवीय तो कत्तई नहीं था । लोहिया अपने लेख ‘समता और सम्पन्नता’ में लिखते हैं कि “समाजवाद की दो शब्दों में परिभाषा देनी हो तो वे हैं- समता और संपन्नता, इन दो शब्दों में समाजवाद का पूरा मतलब निहित है, समता और संपन्नता जुड़वा हैं ।’’
लोहिया ने समता हासिल करने के लिए 11 सूत्रीय कार्यक्रम देते हुए लिखा कि इनमें से हर मुद्दे में बारूद भरा हुआ है. वे सूत्र हैं-
1- सभी की प्राथमिक शिक्षा, समान स्तर और ढंग की हो तथा स्कूल खर्च और अध्यापकों की तनख्वाह एक जैसी हो. प्राथमिक शिक्षा के सभी विशेष स्कूल बंद किये जायें ।
2- अलाभकर जोतों से लगान अथवा मालगुजारी खत्म हो । संभव है कि इसका नतीजा हो सभी जमीन का अथवा लगान का खात्मा और खेतिहर आयकर की शुरुआत ।
3- पांच या सात वर्ष की ऐसी योजना बने, जिसमें सभी खेतों को सिंचाई का पानी मिले । चाहे वह पानी मुफ्त अथवा किसी ऐसी दर पर या कर्ज पर कि जिससे हर किसान अपने खेत के लिए पानी ले सके ।
4- अंग्रेजी भाषा का माध्यम सार्वजनिक जीवन के हर अंग से हटे ।
5- हजार रूपए से ज्यादा खर्च कोई व्यक्ति न करे ।
6- अगले 20 वर्षों के लिए रेलगाड़ियों में मुसाफिरी के लिए एक ही दर्जा हो ।
7- अगले 20 वर्षों के लिए मोटर कारखानों की कुल क्षमता बस, मशीन, हल और टैक्सी बनाने के लिए इस्तेमाल हो । कोई निजी इस्तेमाल की गाड़ी न बने ।
8- एक ही फसल के अनाज के दाम का उतार-चढ़ाव 20 प्रतिशत के अंदर हो । जरूरी इस्तेमाल की उद्योगी चीजों के बिक्री के दाम लागत खर्च के डेढ़ गुना से ज्यादा न हों ।
9- पिछड़े समूहों यानी आदिवासी, हरिजन, औरतें हिंदू तथा अहिंदुओं की पिछड़ी जातियों को 60 प्रतिशत को विशेष अवसर मिले ।
10- दो मकानों से ज्यादा मकानी मिल्कियत का राष्ट्रीयकरण ।
11- जमीन का असरदार बंटवारा और उसके दामों पर नियंत्रण ।
लोहिया के इस समाजवादी अवधारणा को अगर गहनता से देखा जाए तो इसका एक एक शब्द समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए कल्याणप्रद साबित होगा ।