आम आदमी कि थाली से सब्जी गायब हो गयी है । साधारण से लगायत हर आमोखास आलू , प्याज , टमाटर की बढ़ी कीमतों से हांफ रहा है । ऐसे में सवाल यह है की रोजमर्रा की जिंदगी में सभी के लिए जरूरी आलू प्याज के दाम आसमान छूने का असली गुनगार कौन है ?
इस यक्ष प्रश्न का जवाब देनें के लिए सरकार से लगायत व्यापारी , कोई भी देनें को तैयार नहीं है । प्रस्तुत है रियल व्यू न्यूज की यह पड़ताल जों आलू प्याज की बढ़ी कीमतों के असली गुनहगारों की पोल खोलेगी । देश में अब तक किसानों के हित में तीन बार कृषि सुधार बिल लाया गया , किंतु आज भी किसान बेजार है और बिचौलिए मालामाल हो रहे हैं । सरकारी आंकड़ों की बात करें तों आलू के सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश ने बड़ी मात्रा में आलू का उत्पादन किया था । उस समय किसानों से आलू की ख़रीद कौड़ियों के मोल किया गया । उस आलू को बड़े व्यापारियों ने कोल्ड स्टोरों में लाक कर दिया । आज की डेट में केवल उत्तर प्रदेश में 30 .56 लाख टन आलू कोल्ड स्टोरों में बंद पड़े हैं । जिसमें 8 लाख टन आलू के बीज भी हैं । सवाल यह उठता है कि किसान को इन बढ़ी हुई कीमतों का कोई लाभ नहीं मिला । बिचौलिए इन किसानों से सस्ता आलू ख़रीद कर , अब महंगे दामों में बेच कर चांदी काट रहे हैं ।
आखिर सरकार कि नीतियों का लाभ किसान को क्यों नहीं मिल पाता । उसका एक कारण कृषि उत्पाद कानून कि खामियां हैं । जिसे जिम्मेदार कड़ाई से लागू नहीं करा पाते । देश में अच्छे उत्पाद के बावजूद सिस्टम में बड़े पैमाने पर झोल होने के कारण सरकार पहले तों करोड़ों टन आलू निर्यात कर देती हैं वही मार्केट के बड़े व्यापारी कोल्ड स्टोरों में आलू रखकर जमाखोरी करते हैं । यही कारण हैं कि आज आलू के दाम 50 से 60 रुपए किलों हो गये हैं । वही प्याज का उचित भंडारण नहीं होने एवं महाराष्ट व कर्नाटक में अति वृष्टि प्याज के कीमतों में बढ़ोत्तरी का मुख्य कारण बनी है । यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आलू प्याज पर महंगाई पर मचे हाहाकार के बीच 31अक्टूबर की शाम तक कोल्ड स्टोरों में बंद पड़े आलू को बाहर निकालने का आदेश जारी किया है । साथ ही आलू और प्याज की कीमतों को नियंत्रित कर आम बाजारों में बेचने का निर्देश भी दिया है , किंतु व्यापारीयों पर प्रभावी अंकुश नही होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आलू प्याज आज मनमाने रेट पर बेचे जा रहे है । आलू प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा से अलग कर सरकार ने व्यापारियों को खुली लूट करने का मौका देकर बड़ी गलती की है । महंगाई पर नियंत्रण की बजाय भारत सरकार भूटान से आलू आयात करने की योजना बना रही है । पर प्रश्न यह है की इस बढ़ी कीमतों का लाभ किसान को नहीं मिलता साथ ही आम उपभोक्ता की जेबें भी ढीली हो रहीं है । देखना यह है की अभी हाल में ही किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य दिलाने वाला विधेयक भी काम आता है कि नहीं । वही आखिर आलू प्याज कि महंगाई का असली गुनहगार कौन है ? इस महंगाई का जिम्मा लेनें के लिए व्यापारी व सरकार कोई तैयार नहीं ।