गाजीपुर डेस्क । वीर सपूतों की धरती के नाम से प्रसिद्ध गाजीपुर जिले के गहमर की माटी में 19 दिसंबर 1923को जन्मे भोलानाथ गहमरी ने अपनी काव्य रचना से भोजपुरी काव्य जगत को , जीवनपर्यंत समृद्ध किया । भोजपुरी साहित्य को अपने अनुपम गीतों से लबालब करने वाले गीतकार भोलानाथ गहमरी की बीसवीं पूर्णतिथि पर पूर्वांचल के साहित्यिक समाज ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए , उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की ।
हिंदी काव्य मंचों के समृद्ध संचालक व कवि हरिनारायण हरीश ने कहा कि स्व. भोलानाथ गहमरी भोजपुरी फिल्मों के अनुपम गीतकार थे । उन्होंने “बयार पूरवैया ” अंजुरी भर मोती ” गीत रागिनी ” आदि काव्यसंग्रह की रचना की । गहमरी द्वारा भोजपुरी भाषा में लिखा गया नाटक आज भी रंगमंचों की शान है । पत्रकार वारीन्द्र पाण्डेय ने उन्हें स्मरण करते हुए कहा की स्व.कवि भोलानाथ गहमरी द्वारा लिखे गीत गाकर कई कलाकार फिल्म जगत में चर्चित हुए हैं । सांसद मनोज तिवारी ने गहमरी जी के लिखे देवीगीत एवं लोकगीतों को अपना सुर दीया जो काफी लोकप्रिय हुए । उन्होंने कवि सम्मलेनों में अपने गीतों के माध्यम से आंचलिक बिंबों , प्रतीकों को अपनी रचना में समाहित किया । साथ ही साथ उन्होंने कई नवोदित कवि एवं कवयित्रियों को मंचों पर लोकप्रिय बनाया ।
उनके द्वारा रचित यह निर्गुण भोजपुरी गीत काफी पसंद किया गया –
ले चल तू डोलिया, अबेर हो न जाय रे पिया घरे पहुंचत, सबेर हो न जाय रे रहिया के कंकड़, सुमेर हो न जाय रे ले चल तू डोलिया, अबेर हो न जाय रे…