राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मंत्री स्वाती सिंह #Realviewnews
रिपोर्ट – प्रकाश सेठ/सत्यम पाण्डेय
वाराणसी । राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को सर्किट हाउस सभागार में विभिन्न सामाजिक संगठनों और विश्वविद्यालय के कुलपतियों के साथ बैठक की। उन्होंने कुलपतियों से अपील की कि विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर कुपोषित बच्चों एवं टीबी ग्रस्त बच्चों को गोद लें। हर वर्ग सामाजिक उत्तरदायित्व समझे और वाराणसी को कुपोषण व टीबी रोग से मुक्त कराने का कार्य कराएं।
राज्यपाल ने कहा कि गांव में तीन वर्ष का प्रत्येक बच्चा आंगनबाड़ी केंद्र में जाए और छह वर्ष का होने पर उनका दाखिला प्राइमरी स्कूल में कराया जाए। यह प्रयास किया जाए कि बच्चों का ड्रॉप आउट एक फीसदी से कम रहे। गांवों में 100 फीसदी संस्थागत प्रसव हों। कन्या सुमंगला योजना भारत की सबसे अच्छी योजना है। इसमें हर पात्र लाभान्वित हो।
राज्यपाल ने आंगनबाड़ी, टीबी उन्मूलन टीम, स्वयं सहायता समूह, स्वैच्छिक संगठनों एवं जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक में बच्चों तथा महिलाओं के विकास के लिए माइक्रो प्लान बनाने का संदेश दिया। उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्रों और कुपोषित बच्चों के उत्थान को बनारस में किए गए कामों के लिए जिलाधिकारी सहित उनकी पूरी टीम को बधाई व धन्यवाद दिया।
कहा कि नई शिक्षा नीति बहुत उपयोगी है, इसमें शुरुआत से बच्चों के लिए अच्छे सिलेबस हैं। बच्चों का गांव में सामूहिक टूर कराएं, खेल कराएं, मंदिर आदि स्थल दिखाएं। शैक्षिक कैलेंडर में नाश्ता व खाना का भी प्रावधान करें। इससे बच्चे उत्साहित होते हैं। बैठक में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने आंगनबाड़ी केंद्रों, प्राइमरी स्कूलों, टीबी उन्मूलन कार्यक्रम का प्रजेंटेशन दिया। इस अवसर पर राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल, एमएलसी लक्ष्मण आचार्य, विधायक सुरेंद्र नारायण सिंह, डॉ अवधेश सिंह, सौरभ श्रीवास्तव, नीलरतन नीलू ने अपने अनुभव शेयर किए। राज्यपाल का स्वागत मंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी एवं धन्यवाद कैबिनेट मंत्री स्वाति सिंह ने किया।
सीएचसी और पीएचसी में कराएं कैंसर की जांच
राज्यपाल आनंदीबेन ने कहा कि भारत में दुनिया के सापेक्ष सबसे ज्यादा स्तन कैंसर व सर्वाइकल कैंसर के केस हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रारंभिक जांच कराई जा सकती है और जहां संभावना दिखे उसे उच्च स्तर के अस्पताल भेजें। प्रारंभिक स्टेज में कैंसर का इलाज अच्छे से हो जाता है। बच्चों को गोद लेने में मंदिर के ट्रस्टी को भी जोड़ें। समर्थ किसान गांव में आंगनबाड़ी में अपनी उपज के फल-सब्जी देकर सहयोग कर सकते हैं। हर किशोरी की रक्त जांच कराएं। एनीमिक किशोरी को दवा दिलाएं।
गुजरात मॉडल को भी अपनाएं
राज्यपाल ने यूनिवर्सिटी में बच्चियों, उनके मां-बाप-अभिभावकों, चिकित्सकों के साथ सम्मेलन की सलाह दी। उन्होंने बताया कि गुजरात में मंत्री बनने के बाद उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आईसीडीएस की अलग विभाग बनवाकर आदर्श आंगनबाड़ी की परिकल्पना देकर कार्य कराना शुरू किया था। आंगनबाड़ी कार्यकत्री के प्रमोशन में उनकी शिक्षा व परफारमेंस को गहनता से परीक्षण कर प्रमोशन करें। गुजरात मॉडल का जिक्र करते हुए माता यशोदा अवार्ड का उदाहरण दिया। उन्होंने इसे अपनाने की सलाह दी
सर्वे में पैरामीटर भी बढ़ाएं
राज्यपाल ने कुपोषित बच्चों के सर्वे में लंबाई व वजन के साथ उसकी पावर व पैरों में सूजन को भी पैरामीटर में रखने का सुझाव दिया। कुपोषण के लिए मूंगफली, शुगर व दूध पाउडर का पेस्ट सुझाया और इसे घर पर बच्चों के लिए उपलब्ध कराएं। डेयरी को प्रेरित कर वहां दूध लेने वाले लोगों से कुछ-कुछ ग्राम दूध बच्चों को दिलवाएं। उन्होंने कहा, आंगनबाड़ी केंद्रों पर अक्षय पात्र से भोजन व्यवस्था जोड़ना का अच्छा परिणाम मिलेगा।