रियल न्यूज, डोभी । उत्तर प्रदेश सरकार कि महत्वाकांक्षी योजनाओं को ब्लाककर्मी ही पलीता लगा रहे हैं।सफाईकर्मी को गांवों में कूड़ा कलेक्शन व साफ सफ़ाई हेतु भेजने की बजाय अपने कार्यालयों में साफ सफ़ाई एवं चाय बनाने का कार्य करवाते हैं। बताते चलें कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत हर गांव में सूखा व गीला कूड़ा उठाने एवं उन्हें अपशिष्ट गृहों में डंप कर नष्ट करने कि योजना शासन द्वारा बनायी गयी है। फिलहाल इस महत्वपूर्ण योजना का पायलट प्रोजेक्ट यानी ट्रायल जिले के सभी ब्लाकों में कुछ चुनिंदा गांवों के लिए चलाई गयी। डोभी में चन्दवक , मढ़ि , हरिहरपुर गांव इसके लिए चयनित किए गए। हरिहरपुर के संत कीनाराम स्थली के समीप बाकायदा लाखों की लागत से कूड़ाघर स्टोरेज का निर्माण भी किया जा रहा है। ग्राम निधि के पैसों से कूड़ा कलेक्शन वाहन भी ब्लाक में आकर महीनों से शो पीस बनकर खड़े हैं। किंतु विडंबना यह है कि कूड़ा कलेक्शन कैसे किया जाए , जब सफाईकर्मी गांव में आते ही नही । नवगीत कार गुलाब सिंह लिखते हैं-
‘ ‘ शब्दों की हाथी पर ऊघता महावत है , गांव अपना लाठी और भैंस की कहावत है ‘ ‘
नाम नही छापने की शर्त पर डोभी ब्लाक के सफाईकर्मी ने बताया कि हम गांवों में जाकर बजबजाती नाली, सड़क व आम रास्तों पर उगी घास व झाड़ियों को साफ करना चाहते हैं। किंतु ग्राम प्रधान से लगायत बीडीओ एवं एडीओ पंचायत सभी को खुश रखने में ही हमारा पूरा दिन बीत जाता है। सूत्रों कि मानें तो बड़े बड़े गांवों हरिहरपुर, चन्दवक, मढी, कछवन, हीसामपुर, बीरीबारी, बोदरी,कोइलारी, हीरापुर मचहटी, बरौटी, आईलिया, समेत दर्जनों गांवों में पांच से छः की संख्या में सफाईकर्मियों की नियुक्ति हुई है। किंतु डोभी के अधिकांश गांवों में प्रधान को छोड़कर आम आदमी शायद ही सफाईकर्मियों को पहचानता हो। मजे की बात यह है कि जब किसी बड़े अधिकारी का दौरा या जन चौपाल गांवों में लगती है। तो उस न्याय पंचायत के सफाईकर्मी स्वयं काम नही कर , दिहाड़ी मजदूर लगा देते हैं। और बड़ी चालाकी से अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर अपनी हाजिरी लगवा लेते हैं। सवाल यह है कि सफाईकर्मियों के गैर जिम्मेदार रवैए के पीछे अधिकारियों कि उदासीनता है या सफाईकर्मियों से मिलने वाला लाभ । जो उन्हें अपने कर्तव्य के प्रति वे परवाह बना रहा है। कारण जो भी हो पर उनकी जिम्मेदारी कौन तय करेगा ।