रियल व्यू न्यूज, जौनपुर । बाजार में सरसों के तेल की कीमत जितनी तेजी से बढ़ रही है अगर इसी रफ्तार बढ़ती रही तो सरसों का तेल आम आदमी की पहुंच से दूर हो जाएगा। छह महीने के अंदर सरसों के तेल की कीमत 50 रुपये प्रति लीटर बढ़ गई है। इसमें प्रति लीटर 30 रुपये की बढ़ोत्तरी महज 15 दिनों के भीतर हुई है। डालडा और फार्च्यून तेल की कीमतों में भी तेजी आई है। राहत की बात यह है कि अरहर समेत अन्य दाल की कीमतों में कमी आई है।

लॉक डाउन के दौरान सरसों का तेल बाजार में 90 से 95 किलो था, जबकि आज बाजार में सरसों का तेल 140-145 रुपये किलो बिक रहा है। सरसों तेल में प्रति किलो 30 रुपये की बढ़ोत्तरी महज 15 दिन के भीतर हुई है। फुटकर बाजार में 15 दिन पहले सरसों का तेल 110 रुपये किलो था। बुधवार को बाजार में सरसों का तेल 140-145 रुपये किलो बिका। लॉक डाउन के दौरान सरसों तेल का भाव 95 से 100 रुपये किलो था। इस हिसाब से पिछले छह महीने के भीतर सरसों तेल की कीमत प्रति किलो 50 फीसदी बढ़ गया। सरसों की तेल की कीमत में लगातार आ रही तेजी से कारोबारी भी हैरान हैं। अनाज व्यापार संघ के अध्यक्ष संजय केडिया का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन और पॉम आयल की कीमत बढ़ने की वजह से बाजार में सरसों तेल की मांग बढ़ी है। इसके अलावा ठंड के मौसम में वैसे भी लोग सरसों के तेल की मांग बढ़ जाती है। सरसों तेल की कीमत बढ़ने की वजह से ही रिफाइंड तेल और वनस्पति घी की कीमतें भी बढ़ी हैं। 15 दिन पहले रिफाइंड तेल 100 रुपये किलो की दर से था जो बढ़कर 130 रुपये किलो हो गया। वनस्पति घी 15 दिन पहले 110 रुपये किलो था जो 120 रुपये किलो में बिक रहा है। घी और तेल के थोक कारोबारी किशन हरलालका कहते हैं कि यूपी और पंजाब में सरसों की फसल मार्च अप्रैल महीने में आएगी। नई फसल आने के बाद ही सरसों तेल की कीमत कम होने के आसार हैं। बाजार में दाल की कीमतों में नरमी आई है। अरहर की दाल महीने भर पहले 110 से 120 रुपये किलो थी जो घटकर 85 से 95 रुपये प्रति किलो हो गई। मटर और चना की दाल की भी कीमतें घटी हैं। दाल की कीमतें घटने के वजह मानी जा रही है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में दाल की फसल बाजार में आ चुकी है। राजस्था न में चना की भी फसल आ चुकी है।
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उच्च शिक्षा का बेहतर शिक्षण संस्थान, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय से संबद्ध
आचार्य बलदेव ग्रुप आफ इन्स्टिट्यूशन, कोपा, पतरही, जौनपुर ।
प्रबंधक – अनिल यादव मैनेजमेंट गुरु